सोरायसिस एक त्वचा की एक असामान्य स्थिति है जिसमें त्वचा का कुछ हिस्सा बड़ा, गाढ़ा, लाल, और छालों से भरा होता है। इस समस्या के कारण त्वचा का एकाधिक रक्तसंचार होता है, जिससे त्वचा की ताकत और स्वस्थता को प्रभावित करता है। सोरायसिस का कारण विभिन्न हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य कारण शरीर के इम्यून सिस्टम की असमान्य क्रिया हो सकती है, जिससे त्वचा की रक्षा होने वाली कोशिकाओं में वृद्धि होती है और इससे त्वचा पर छाले बनना शुरू हो जाते हैं। यह स्थिति आमतौर पर जन्म के बाद किसी भी उम्र में प्रकट हो सकती है, और यह अधिकांश लोगों के लिए अधिकतर हानिकारक नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह जीवन को काफी प्रभावित कर सकती है।सोरायसिस के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जिनमें प्लेक, गट्टे, इंवर्टेड, समाहित हैं। इन प्रकारों में, प्लेक सोरायसिस सबसे सामान्य है, जिसमें त्वचा पर लाल रंग की छाले होती हैं जो धूप में और ठंडे मौसम में बढ़ सकती हैं। सोरायसिस आयुर्वेदिक उपचार: घरेलू नुस्खों और प्राकृतिक तरीकों से सोरायसिस को कैसे ठीक करें।आयुर्वेदिक रूप से त्वचा को स्वस्थ और सुंदर बनाएं |
सोरायसिस होने का मुख्य कारण क्या है?
इम्यून सिस्टम की असमान्य क्रिया: शरीर के इम्यून सिस्टम का असामान्य कारण सोरायसिस को बढ़ा सकता है, जिससे त्वचा की कोशिकाएं अधिक तेजी से बनती हैं और छाले बनना शुरू होते हैं।
जीनेटिक अंश: जीनेटिक आधार से यह सिद्ध हुआ है कि कुछ लोगों को सोरायसिस होने का जोखिम अधिक हो सकता है, यदि उनके परिवार में इस समस्या का इतिहास है।
त्वचा की चोटें: त्वचा की चोटें, जैसे कि छोटी चोटी चोटियां या ज्यादातरता से रूखापन, सोरायसिस के बढ़ने के कारणों में से एक हो सकती हैं।
तनाव:तनाव और मानसिक दुख भी सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं और इसके लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
रोग: कुछ सामान्य रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि शुगर, शिशुपाल्सी, और रुधिर चाप, सोरायसिस के विकसन में संबंधित हो सकती हैं।
दवाओं का सेवन: कुछ दवाएं, जैसे कि ब्रेटा-ब्लॉकर्स और लिथियम, सोरायसिस को बढ़ा सकती हैं या इसके लक्षणों को प्राधिकृत कर सकती हैं।
सोरायसिस में क्या क्या परहेज करना चाहिए?
त्वचा की नमी बनाए रखें: सुबह और शाम में की नमी करने और उचित मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने से रूखापन को कम किया जा सकता है, जिससे छाले कम बनेंगे।
गुनगुना पानी इस्तेमाल करें: गर्म पानी का उपयोग न करें, बल्कि ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करें। गरम पानी त्वचा को सुखा सकता है और लक्षणों को बढ़ा सकता है।
खुली त्वचा से सीधे सूरज की रोशनी में न रहें: सीधे सूरज की रोशनी में बिना सुरक्षा के रहना लक्षणों को बढ़ा सकता है। सूर्य से बचाव के लिए धूप में बारिश के कपड़े पहनें और सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
चुनौतीपूर्ण या आसान स्नान टेक्निक्स का इस्तेमाल करें: तेल या ओटमील से भरपूर स्नान, या ताजगी से भरपूर पानी में स्नान करना सोरायसिस को कम करने में मदद कर सकता है।
धूम्रपान और मदिरा का सीधा संपर्क न करें:धूम्रपान और मदिरा का सीधा संपर्क लक्षणों को बढ़ा सकता है और इसकी स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है।
स्वस्थ आहार: एक स्वस्थ आहार अपनाना जैसे कि सब्जियां, फल, अनाज, और पर्याप्त पानी पीना, सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
स्ट्रेस प्रबंधन: ध्यान, प्राणायाम, और अन्य स्ट्रेस प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करना सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।
सोरायसिस का आयुर्वेदिक उपचार
सोरायसिस के आयुर्वेदिक उपचार के लिए, यहां हम कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीके बता रहे हैं जो आपको इस समस्या का समाधान प्रदान कर सकते हैं।
1. नीम का उपयोग
नीम, आयुर्वेद में सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार के रूप में माना जाता है जिसमें विभिन्न औषधीय गुण होते हैं। नीम के पत्तों का पेस्ट त्वचा के प्रभावित क्षेत्रों पर लगाने से त्वचा की सूजन कम हो सकती है और खुजली में राहत मिल सकती है। नीम के तेल का अभ्यास करने से त्वचा को नमी मिलती है और रूखापन से बचाव होता है।
2. आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन
गुग्गुल, आमला, और त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक औषधियां सोरायसिस के उपचार के लिए सुझावित हैं। गुग्गुल, एक जड़ी-बूटी, त्वचा की सफाई में मदद करती है और रक्त संचरण को बढ़ावा देती है, जबकि आमला विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत है जो त्वचा की सुरक्षा में मदद कर सकता है। त्रिफला, तीन फलों का मिश्रण, त्वचा की सफाई में योगदान कर सकता है और इम्यून सिस्टम को सुधारने में मदद कर सकता है।
3. आहार में सुधार
सोरायसिस के इलाज में सही आहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हरितकी, नीम, और घृत का सेवन करना सोरायसिस को ठीक करने में सहायक हो सकता है। हरितकी, एक औषधीय पौधा, शरीर की शोधनीय गुण को बढ़ावा देती है, जबकि नीम त्वचा की सफाई करता है और घृत त्वचा को तरोताजगी प्रदान कर सकता है।
4. योग और प्राणायाम
आयुर्वेद में सोरायसिस के इलाज के रूप में योग और प्राणायाम को बड़ा महत्व दिया गया है। योग से त्वचा की सूजन में कमी हो सकती है और प्राणायाम त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है। अनुप्राण, कपालभाति, और भ्रामरी जैसे प्राणायाम तकनीकें, सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
5. ताजगी से भरपूर पानी
ताजगी से भरपूर पानी पीना आयुर्वेद में सोरायसिस के उपचार में महत्वपूर्ण है। यह शरीर को शुद्ध करने में मदद कर सकता है और रक्त संचरण को बढ़ावा देता है, जिससे त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिल सकती है। दिनभर में पर्याप्त पानी पीने से रूक्ष त्वचा को नमी मिलती है, जिससे त्वचा की स्वस्थता में सुधार हो सकता है।
6. ध्यान और मेडिटेशन
सोरायसिस के इलाज में मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मेडिटेशन, ध्यान, और पॉजिटिव थिंकिंग तकनीकें सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। तनाव और चिंता सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं, इसलिए ध्यान और मनोबल को संतुलित रखना सही रहेगा।
7. खुदरा आंवला रस
खुदरा आंवला रस विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और अन्य पोषण सामग्रीयों का अद्वितीय स्रोत है। इसका सेवन करना सोरायसिस के इलाज में मदद कर सकता है और त्वचा को राहत प्रदान कर सकता है। आमला रस को नियमित रूप से सेवन करने से रक्त संचरण में सुधार होता है और त्वचा की स्वस्थता में बेहतरी हो सकती है।
8. सौंदर्य और स्वास्थ्य के लिए तत्पर रहें
सोरायसिस के इलाज में सौंदर्य और स्वास्थ्य का सामंजस्य बनाए रखना जरूरी है। नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ आहार लेना और उचित सोना सोना त्वचा की स्वस्थता में सुधार कर सकता है। स्वस्थ रहकर रुचिकर जीवनशैली को अपनाना सोरायसिस के इलाज को समर्थन प्रदान कर सकता है और त्वचा को सही दिशा में मदद कर सकता है।
If you have any queries related to medical health, consult Subhash Goyal or his team members on this given no +91 99150 72372, +91 99150 99575, +918283060000।