पेचिश, जिसे डायरिया भी कहा जाता है, जो आंतों में सूजन और लालिमा पैदा करता है. यह आमतौर पर दूषित भोजन या पानी से फैलता है जो बैक्टीरिया, वायरस या प्रोटोजोआ से संक्रमित होता है. यह एक आम समस्या है जो आमतौर पर अत्यधिक पानी और मलों के निर्वहन के कारण होती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के मल में बदलाव होता है, जिससे मलाशय से ज्यादा पानी और मल निर्वहित होता है। पेचिश (डायरिया) होने के कारण, लक्षण, और आयुर्वेदिक उपचार इस प्रकार से है |
पेचिश के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- दूषित भोजन या पानी का सेवन
- अस्वच्छ व्यक्तिगत स्वच्छता
- अस्वच्छ शौचालय का उपयोग
- असुरक्षित यौन संबंध
- यात्रा के दौरान दूषित भोजन या पानी का सेवन
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
पेचिश के लक्षण में शामिल हैं:
पेचिश (डायरिया) के लक्षण व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव को दर्शाते हैं। ये लक्षण आमतौर पर मलाशय से पानी और मल की अत्यधिक निर्वहन के कारण होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ आम पेचिश के लक्षण:
- बार-बार विरामी मल: डायरिया के मुख्य लक्षण में से एक है बार-बार विरामी मल यानी अत्यधिक मल निर्वहन।
- पेट में दर्द या दर्द: पेचिश के समय पेट में दर्द हो सकता है, जो आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में होता है।
- पेट की गैस: गैस का अधिक बनना और पेट में तकलीफ हो सकती है।
- उलटियाँ और उबकाई: डायरिया के कारण पेट की समस्याओं के साथ-साथ उलटियाँ और उबकाई की समस्या भी हो सकती है।
- पतला और अस्थायी मल: मल की अस्थायीता और पतलापन भी पेचिश के लक्षण हो सकते हैं।
- शरीर में कमजोरी: डायरिया से शरीर में पानी और न्यूट्रिएंट की कमी हो सकती है, जिससे शरीर में कमजोरी महसूस हो सकती है।
- खुश्की और दुर्बलता: अत्यधिक मल निर्वहन के कारण त्वचा में सूखा और दुर्बलता की समस्या हो सकती है।
- पानी की कमी: डायरिया के कारण शरीर से अत्यधिक पानी निकल सकता है, जिससे डेहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) हो सकता है।
- खानपान में कमी: डायरिया के कारण खानपान में कमी हो सकती है, क्योंकि खाना खाने में तकलीफ हो सकती है।
आयुर्वेदिक उपचार:
1. पानी का सेवन:
डायरिया से होने वाले तपमान के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है।जिससे त्वचा और शारीरिक कार्यों में असुविधाएँ हो सकती हैं। रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि शरीर की ह्यड्रेशन बनी रहे। तथा नारियल पानी का सेवन भी कर सकते है क्यूंकि इसमें विटामिन्स, मिनरल्स, और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पेचिश के दौरान नुकसान पूरी कर सकते हैं।
2. आहार:
आहार डायरिया (पेचिश) के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि सही प्रकार का आहार सेहत की देखभाल करने में मदद कर सकता है और पेचिश के लक्षणों को कम करने में सहायक साबित हो सकता है। डायरिया के समय आहार की स्थितिकरण और सही प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत महत्वपूर्ण है।आहार में सूखी बिस्किट्स, चावल, दलिया, और बनाने की सामग्री जैसे आसानी से पाचन होने वाले आहार को शामिल करना चाहिए। इन आहारों में उच्च पोषण स्तर होते हैं और शरीर को आवश्यक मात्रा में पोषण प्रदान करते हैं। समय-समय पर खानपान की चेतावनी देने के साथ-साथ, पानी की पर्याप्त मात्रा में सेवन भी आपकी सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। पानी से शरीर के पोषण की पूरी होती है और डायरिया के कारण होने वाली पानी की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
3. जीरा और अजवाइन:
जीरा भारतीय खाने की रसोई में एक महत्वपूर्ण स्वाद बढ़ाने वाली सदाबहार मसाला है। यह खाने के साथ-साथ पाचन प्रक्रिया को भी सुधारता है। जीरा में विटामिन सी, आयरन, पोटैशियम, और मैग्नीशियम होते हैं, जिनसे शरीर की सुरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यह पाचन को सुधारकर अपच, गैस, और एसिडिटी की समस्याओं को कम करने में मदद करता है।अजवाइन या अजवाइन के बीज भी खाने में जायके होते हैं और वे भारतीय खाने की विशेषता बनाते हैं। ये खाने की दिगेस्टिव प्रक्रिया को सुधारते हैं और पेचिश जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। अजवाइन में थायमोल, विटामिन ए, विटामिन क, और आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जीरा और अजवाइन को खाद्य में शामिल करने से आपके आहार का स्वाद बढ़ता है और आपके पाचन प्रक्रिया को सुधारने में मदद मिलती है। इनका उपयोग आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है,
4.दही:
दही, एक पौष्टिक और प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ है जो आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दूध से बनता है और खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है। दही में प्रोबायोटिक्स, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जिनसे शारीर को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद मिलती है। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंतरिक माइक्रोबायम को सहायक बनाते हैं। ये आंत में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं और सामान्य आंत स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
5. खानपान की सावधानियाँ:
खानपान की सावधानियाँ एक महत्वपूर्ण अंश हैं जो सेहत की देखभाल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। सही तरीके से आहार लेना और खानपान के साथ सावधानी बरतना, विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं।
- पानी की पर्याप्त मात्रा में सेवन
- पौष्टिक आहार
- साफ-सफाई और हाइजीन
- खाने की तरीके का ध्यान रखें
- तले हुए और अधिक तले हुए खाने से बचें
- तीखे, मसालेदार, और जंक फूड से परहेज करें
6. विश्राम और समय पर उपचार:
विश्राम और समय पर उपचार स्वास्थ्य की देखभाल में महत्वपूर्ण होते हैं। सवालिया जीवनशैली, तनाव, और अन्य अवसादनाओं के कारण अधिकतर लोगों की सेहत पर असर पड़ता है। यदि आप सही तरीके से विश्राम और उपचार नहीं करते हैं, तो यह स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। विश्राम आपके शारीर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पर्याप्त नींद लेना, नियमित विश्राम के लिए समय निकालना, और ध्यान देने की तकनीकों का प्रयोग करना आपकी मानसिक चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
7. पुनर्जागरण (रेस्ट):
पुनर्जागरण, जिसे आमतौर पर रेस्ट भी कहा जाता है, मानव शरीर और मानसिकता के लिए महत्वपूर्ण होता है। आधुनिक जीवनशैली में तनाव, काम की भागदौड़, और तकनीकी डिवाइस का अधिक प्रयोग कारण बनते हैं कि लोग नियमित और पर्याप्त पुनर्जागरण नहीं कर पाते हैं।। सुबह उठकर योग और प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ सकती है और आपके शरीर को जल्दी से ठीक होने में मदद मिल सकती है पुनर्जागरण आपके शारीर, मानसिक स्वास्थ्य, और कार्य क्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह आपके शरीर को मरम्मत करने, ऊर्जा को बढ़ाने, और मानसिक शांति प्रदान करने में मदद करता है।
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